...

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# ख़ामोशी #
लफ़्ज़ खामोशी के
कितना कुछ सह जाते हैं
चाहते तो हैं बात करना
मगर खामोशी का घूँट पीकर
रह जाते हैं ,
बहुत लम्बी खामोशी
से गुजरना पड़ता है
कुछ कहने की कोशिश में
शोर बहुत तेज़ होता है अंदर
चुप रहने की कोशिश में !
दिल सहमा सहमा सा रहता है
कुछ कहें भी तो कैसे ..
साँस रुक सी जाती है ..
चुप रहें भी तो कैसे ..
ख़ामोश लबों को कितना कुछ सहना पड़ता है ..
जो कह ना पायें लफ़्ज़ों में ..
उन्हें आँखों से कहना पड़ता है ..