रेगिस्तां
फैली रेगिस्तां में दूर तलक,
कोई जीवन न नजर आ रहा।
तर-तर,भर-भर भटक रहा मैं,
कोई जीवन न नजर आ रहा।
दूर टीलों पर नजर आ रहा,
साँप,बिचछी और काँटो का बशेरा ।
और गरम हवा,
रेत को समेटा।
ठीक...
कोई जीवन न नजर आ रहा।
तर-तर,भर-भर भटक रहा मैं,
कोई जीवन न नजर आ रहा।
दूर टीलों पर नजर आ रहा,
साँप,बिचछी और काँटो का बशेरा ।
और गरम हवा,
रेत को समेटा।
ठीक...