...

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मधुर सृजन
मधुर सृजन......,
मधुरता से भरा ये भव्य संसार,
तपती धूप को ’ मानसून ’
उसकी चादर से ओढ़ लेती है,
बारिश की बूंद ,
बूंद का भाव,
मिट्टी की दरार भर लेती है,

यह मधुर मिलन,
उसकी एक संरचना....,

यह मधुर भव्य संसार,
भर जाते हैं,
एक प्रेम ’ पात्र ’ से,
मधुरता,
कैद है,
एक प्रेम सूत्र से,

प्रेमी बहक जाते हैं,
दरारें भर जाते हैं,

” एक प्रेम पत्र से....।”
© Aditya N. Dani