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मेरा प्रकृति - प्रेम
"Learn something new with curiosity"
मेरा प्रकृति - प्रेम(MY NATURE LOVE)

हरित पल्लवित नववृक्षों के दृश्य मनोहर
होते मुझको विश्व बीच हैं जैसे सुखकर
सुखकर वैसे अन्य दृश्य होते न कभी हैं
उनके आगे तुच्छ परम वे मुझे सभी हैं।

छोटे - छोटे झरने जो बहते सुखदाई
जिनकी अद्भुत शोभा सुखमय होती भाई
पथरीली पर्वत विशाल वृक्षों से सज्जित
बडे-बडे बागों को जो करते हैं लज्जित।

लता -विटप की ओट जहाँ गाते हैं द्विवजगण
शुक, मैना, हारील जहाँ करते हैं विचरण
ऐसे सुंदर दृश्य देख सुख होता जैसा
और वस्तुओं से न कभी होता सुख वैसा।

छोटे-छोटे ताल पद्म से पूरित सुंदर
बडे-बडे मैदान दूब छाई श्यामलतर
भाँति - भाँति की लता-वल्लरी हैं जो सारी
ये सब मुझको सदा हृदय से लगतीं न्यारी।