...

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सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
छोड़ व्यर्थ की बातें गिला केसा है
मत करो कुछ सब छड़ों दो
किस बात का गम है
मैं हूँ जब साथ तेरी
तो क्यों डरता है
तेरी ही कमी खलती है
और कुछ चीज़ की कोई ज़रूरत नहीं
तु साथ है तो फिर गिला क्या
सांझ ही थी जब तुमसे मिली
अब दिन मैं भी तेरे आने की उमीद नहीं है
© alone