देखो मेरा यह गया
मैं खड़ा रहा किनारे सा
वो दरिया जैसे बह गया
वो पक्के मकान की तरह बुलंद
मैं मिट्टी जैसे ढह गया
वो तेज तर्रार तलवार सा था
ना जाने क्या क्या कह गया
मैं जाया सा जख्म खाया सा
सब हंसते हंसते सह गया
कुछ ज्यादा तो नहीं खोया पर हां
जो था सुकून वह गया
उसको तो " दीप " सब मिला
तेरे पास ये लिखना रह गया
मैं खड़ा रहा किनारे सा
वो दरिया जैसे बह गया .......
© शायर मिजाज
वो दरिया जैसे बह गया
वो पक्के मकान की तरह बुलंद
मैं मिट्टी जैसे ढह गया
वो तेज तर्रार तलवार सा था
ना जाने क्या क्या कह गया
मैं जाया सा जख्म खाया सा
सब हंसते हंसते सह गया
कुछ ज्यादा तो नहीं खोया पर हां
जो था सुकून वह गया
उसको तो " दीप " सब मिला
तेरे पास ये लिखना रह गया
मैं खड़ा रहा किनारे सा
वो दरिया जैसे बह गया .......
© शायर मिजाज