...

5 views

तन्हा
तेरी यादों के नशे में खोया इस कदर, ऐसी बेखुदी न मिले मधुशालों में,
इस गुलाबी सी ठंड की शामों में, कट रही है जिंदगी,
तन्हाई और चाय के प्यालों में।
चाय के साथ मैं पढ़ रहा हूं अखबार ,पर आई ना कुछ खबर तेरी,
ना तूने पूछा मुझसे ,जी रहे हो मेरे बिन किन्ह हालों में।
तेरी मेरी इक तस्वीर बुनी मैने अपने ख्यालों में,
मन पटल पर लटकी वो तस्वीर धुंधला गई लगे जालों में।
आओ मिलकर रंग भरे अब आने वाले सालों में।

जिस रात मेरे चल मन में एक सुंदर दीपक जलने लगे,
रुके हुए मेरे कदम,इन कदमों तले धरा चलने लगे,
उस रात सखी मुझसे मिलना।
जिस रात चांदनी में नहाया ये संगमरमर का फर्श फटिक दूध की झाग सा धुंधला हो,
तेरी सूरत देख रहा जब सामने मेरे दर्पण हो,
उस शाम सखी मुझसे मिलना..
जो प्यार किया हीर ने रांझे से,ससी ने पुन्नू से ,सोहनी ने महिवाल से,
उस कदर मैने तुझसे से ना जाने कितने साल से...

© ojasviladha