मेरा साया
शब-ओ-सहर कहाँ खोया हूँ मैं रहता
हर मुलाक़ात पे यही पूछता है मेरा साया
तेरे वजूद में खो गया हूँ मैं इस क़दर
के दर-ब-दर मुझे ढूँढ़ता फिरता है मेरा साया
राह-ए-मोहब्बत में इतना गहन था अँधेरा
कि मेरा...
हर मुलाक़ात पे यही पूछता है मेरा साया
तेरे वजूद में खो गया हूँ मैं इस क़दर
के दर-ब-दर मुझे ढूँढ़ता फिरता है मेरा साया
राह-ए-मोहब्बत में इतना गहन था अँधेरा
कि मेरा...