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गम क्या है जो तुम इतने मुस्कुरा रहे हो
गम क्या है जो तुम इतने मुस्कुरा रहे हो
चाहो तो हमें ही सुना दो हाले दिल
हम भी बेकरार हुए जा रहे हैं
जिंदगी की भाग दौड़ में अब
राह चलता हर व्यक्ति मुस्कुराए जा रहा है
ना जाने क्यों अब गम को छुपाए जा रहा है
गमों की भी लिस्ट बनी है क्योंकि हसीन चेहरे के पीछे झांकने वाले अब ना नजर आ रहे है
ये दुनिया है साहिब सब एक दूसरे के खिलाफ हुए जा रहे हैं
यू तो लोग ताजमहल घूमने जाते हैं शाहजहां की बेगम से मिलने आते हैं पर ना जाने क्यों प्रेम की उस निशानी को वहीं भूल आते हैं
by Nandini
© story writing and Kavita writing with listening