अधुरी ख्वाहिश
कब तुझ से मैंने ख्वाहिशो का जहाँ मांगा था
बस तु साथ रहे हमेशा इतना ही तो मैंने चाहा था
जो तुझको इतना ही चाहतो से परहेज था
तो फिर क्यू मारा कंकर
ठहरा पानी सा था मन मेरा
कब उसमे कोई शोर था
बस तेरी बाहों के फेरे
शामो के वो खामोश अंधेरे
सांसो का बस शोर हो
हम ही हो दरम्या तेरे...
बस तु साथ रहे हमेशा इतना ही तो मैंने चाहा था
जो तुझको इतना ही चाहतो से परहेज था
तो फिर क्यू मारा कंकर
ठहरा पानी सा था मन मेरा
कब उसमे कोई शोर था
बस तेरी बाहों के फेरे
शामो के वो खामोश अंधेरे
सांसो का बस शोर हो
हम ही हो दरम्या तेरे...