...

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तेरी पनाहों में
तिरी बांहों में आकर हम जहां को भूल जाते हैं
हसीं लगती फिज़ायें हैं ख़िज़ाँ को भूल जाते हैं

वो तेरा रूठना हम से कभी नाराज़ हो जाना
मनाने के लिए हम तो अना को भूल जाते

वही कसमें वही वादे किए हमने कभी जो थे
निभाते हैं सदा...