...

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कभी देर नहीं होती
नई शुरुआत करने को,कभी देर नहीं होती ।
अपनी दिशा बदलने को, कभी देर नहीं होती।

गलत रास्ते समझने को, कभी देर नहीं होती।
पलट के फिर से चलने को कभी देर नहीं होती।

गलतियां करता है, इंसान ही इस धरती पर।
मान गलती सिर झुकाने को, कभी देर नहीं होती।

रूठना कोई शौक तो नहीं, गर रूठा है कोई अपना
गले लगा मना लेने को, कभी देर नहीं होती।

मुखोटा लगाए ज़माने मे, क्यूँ छुपाता है पहचान।
शख्सियत से पर्दा हटाने को,कभी देर नहीं होती।
नई शुरुआत करने को कभी देर नहीं हो होती।

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