...

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तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मैं धुन किसी सुरीली राग की,
उस राग का तू गीत प्रिय ।
मैं तेरे अंदर की चंचलता
तू मेरा समझदार प्रिय
सर्दी की मैं धूप हुई,
तू तपती धूप का छांव प्रिय ।
तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मुझ बिन तू भी पूरा कहां ।

मैं तेरी अंग्रेजी की आडंबरी
तू मेरा शब्दकोश प्रिय
मैं बड़बोली जो हुई
तो तूने शांत स्वभाव चुना
मैं तेरी चाय का नशा
तू मेरी गहरी नींद प्रिय
तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मुझ बिन तू भी पूरा कहां ।

जो मैं मौसम सर्द हुई
तू ओस की पहली बूंद प्रिय
जो मैं सर का दर्द हुई
तू उस दर्द का शीतल बाम प्रिय
जो मैं शहर बनारसिया
तू वहां का प्रसिद्ध पान प्रिय
तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मुझ बिन तू भी पूरा कहां ।

मैं दिन में अंधेरे के साथ रही
तू रात में उजाले की भांति प्रिय
मैं तेरे सांझ का चांद
तू मेरा उगता सूर्य प्रिय
जो बाग का मैं माली हुई
उस बाग का तू गुलाब प्रिय
तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मुझ बिन तू भी पूरा कहां ।

मैं बारिश की बूंद
तू उस में नाचता मोर प्रिय
मैं बहती पावन पुर्विया
तू खुशियों भरी सौगात प्रिय
जो मैं गहरी नींद हुई
तू उस में दिखता स्वप्न प्रिय
तुझ बिन मैं अधुरी हूं
मुझ बिन तू भी पूरा कहां ।