बचपन!!!!
लड़कपन के सभी किस्से,
अभी भी याद है मुझको।
एक बिस्किटऔर कई हिस्से,
अभी भी याद है मुझको
बिना आंसू के रोना भी,
कला मशहूर था अपना।
बिना आंसू के रोना भी,
कला मशहूर था अपना।
नये जूते नये चप्पल,
सभी नए ही रह गए।
जिन्हें हमने जो पहना था,
कभी छोटे ही ना हुए।
वो पापा और हम उनके डंबल,
और वो मोटे ही रह गए।
खिलौने क्या खूब थे अपने,
सभी आपस में लड़ते थे।
चाहे जितने ही मिल जाए,
सभी एक ही पे मरते थे।।।।।।।
अभी भी याद है मुझको।
एक बिस्किटऔर कई हिस्से,
अभी भी याद है मुझको
बिना आंसू के रोना भी,
कला मशहूर था अपना।
बिना आंसू के रोना भी,
कला मशहूर था अपना।
नये जूते नये चप्पल,
सभी नए ही रह गए।
जिन्हें हमने जो पहना था,
कभी छोटे ही ना हुए।
वो पापा और हम उनके डंबल,
और वो मोटे ही रह गए।
खिलौने क्या खूब थे अपने,
सभी आपस में लड़ते थे।
चाहे जितने ही मिल जाए,
सभी एक ही पे मरते थे।।।।।।।