नाम ज़िन्दगी नही हैं !
ना ही है बचपन पूरा
ना ही है जवानी पूरी
एक अधूरे पन के साथ ये जिंदगी कटती रही है
ना सर पर किसी का हाथ ना किसी का साथ
ना माँ की ममता ना पिता का दुलार
ना वर्तमान का पता ना भविष्य का पता
ना उम्मीद भरे सपने ना कला का गहना
ना ख़ुद पर भरोसा ना किसी और पर
ना कोई काम बस चार दिवारी
एक घुटन एक तनाव एक अनिच्छा एक खामोशी एक ऐसी जिंदगी जिसका असली नाम ज़िन्दगी नही हैं !
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ना ही है जवानी पूरी
एक अधूरे पन के साथ ये जिंदगी कटती रही है
ना सर पर किसी का हाथ ना किसी का साथ
ना माँ की ममता ना पिता का दुलार
ना वर्तमान का पता ना भविष्य का पता
ना उम्मीद भरे सपने ना कला का गहना
ना ख़ुद पर भरोसा ना किसी और पर
ना कोई काम बस चार दिवारी
एक घुटन एक तनाव एक अनिच्छा एक खामोशी एक ऐसी जिंदगी जिसका असली नाम ज़िन्दगी नही हैं !
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