...

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एक नायाब सी पसंद
एक मासूम पर नटखट सी लड़की थी
प्यारी उनकी हर एक अदाकारी थी

अपने नशिले आवाज़ से वो हमसे बात करती थी
हर एक बात उनकी हमारा मन मदहोश कर देती थी

अपनी मुस्कान से हर एक पल खुशियों से भर देती थी
वो मुझे मेरी ही जीवनसंगिनी लगती थी

खुद को सामने रखने से वो डरती थी
कुछ अंदर तो कुछ बाहर ऐसे ही भावनाओ को रखती थी

फिक्र हमारी खुद से भी ज्यादा करती थी
पर कभी कभी कुछ बातो में कंजूसी भी करती थी

हमें वो बहुत अच्छे से समझ लेती थी
हमारे भावनाओ की कदर करने की कोशिश भी वो करती थी

वो जब गुस्से से रूठ जाया करती थी
पर वो जल्द ही प्यार से मनाने पर मान भी जाती थी

बहुत सी प्यारी यादें उनके साथ बनी थी
आज भी याद करते हर एक सपनो की जो मुलाकातें थी

वो मन से रूही की तरह मुलायम सी थी
वो जैसी भी थी बहोत ही खूबसुरत सी थी

हर एक शब्द से उनके लिए ही नजम लिखी थी
वो हमारे रूह में एक प्यार का घर बना गई थी

उनके बिना हर एक पल हमें तड़पा देती थी
वो दूर होकर भी दिल के बहुत करीब रहती थी

क्यूंकि वो हमारा कोई विकल्प नहीं थी
वो तो बस हमारी एक नायाब सी पसंद थी

वो तो बस हमारी एक नायाब सी पसंद थी

© Rahul Naik⚡