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स्वामी विवेकानन्द ...
श्रद्धा, सुमन अर्पित करते हैं,
उस महान व्यक्तित्व को ये चंद लफ्ज़ समर्पित करते हैं।
महान संत श्री विवेकानंद जी को
आओं मिलकर नमन करते हैं।

युवा पीढ़ी से वे
यही आह्वान करते है,
उठों ना रुको तब तक
लक्ष्य न मिल जाए जब तक।
हर युवा में यही भाव भरते हैं।

युवा पीढ़ी के वे थे दृष्टांत,
धर्म-वेदांतों का उन्हें पूरा था ज्ञान।
विश्व शिखर पर ऊँचा किया था भारत का नाम ।
संत श्री विवेकानंद जी थे
इतने महान।
धर्म-संस्कृति के लिए जब
शिकागों में सम्मेलन था हुआ,
देश-विदेश का हर कोई था शामिल हुआ।
उस भीड़ में महान संत श्री विवेकानंद भी था बैठा हुआ।
क्या बोलेगा यह सोचकर शून्य विषय था दिया।
मौन थी सारी सभा,
सुनने वाले हर किसी को अचंभित था किया।
शून्य का महत्व बतला दिया,
भारत कम नहीं हैं किसी से,
दुनिया को अपना लौहा मनवा लिया।
न कोई हारा, न कोई जीता,
उस शिखर सम्मेलन में
भारत ही रहा विश्व विजेता।
जिनकी गाथाएं आज भी भर देती आनंद है,
वो महान संत श्री विवेकानंद है।
युगों-युगों तक होता रहेगा गुणगान,
उनके विचारों का हम भी कुछ ध्यान करते हैं।
उस महान संत श्री विवेकानंद जी को,
आओं मिलकर नमन करते हैं।

✍️मनीषा मीना