बस कुछ अटक कर रह गया हम दोनों के दर्मियां...
ना झगड़ा ही हुआ कोई,
ना नाराज़गी ही जताई गई।
ना बहस हुई किसी बात पर,
ना गलती कोई बताई गई।
कोई रंजिश भी दिल में नहीं,
ना ही है गलतफहमी कोई।
बस कुछ अटक कर रह गया हम दोनों के दर्मियां...
एक बार उलझ ही लेते किसी बात पर,
और कह देते कि वो उलझन नहीं हाल हुई।
पर हम दोनों में ही हार गए दोस्त!
ना मोहब्बत मुकम्मल हुई,
ना नफ़रत मुकम्मल हुई...!!
© wordsofaayushi
ना नाराज़गी ही जताई गई।
ना बहस हुई किसी बात पर,
ना गलती कोई बताई गई।
कोई रंजिश भी दिल में नहीं,
ना ही है गलतफहमी कोई।
बस कुछ अटक कर रह गया हम दोनों के दर्मियां...
एक बार उलझ ही लेते किसी बात पर,
और कह देते कि वो उलझन नहीं हाल हुई।
पर हम दोनों में ही हार गए दोस्त!
ना मोहब्बत मुकम्मल हुई,
ना नफ़रत मुकम्मल हुई...!!
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