Wo Khat ...
आज फिर एक पुराना संदूक खोल दिया.
मिल गए वो ख़त एहसासों में सिमटे से
कुछ ख़्वाब लिखे हुए थे
कुछ ख्वाहिशें भी
पढ़ लिया उन्हें कितनी दफ़ा .
हर बार कुछ अहसास जुड़ गये उनसे
.हर बार ख़त कुछ नया सा लगा ....
.
मिल गए वो ख़त एहसासों में सिमटे से
कुछ ख़्वाब लिखे हुए थे
कुछ ख्वाहिशें भी
पढ़ लिया उन्हें कितनी दफ़ा .
हर बार कुछ अहसास जुड़ गये उनसे
.हर बार ख़त कुछ नया सा लगा ....
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