...

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क्यों न चाहूँ तुम्हें
क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो
शब्दों में बयां नहीं होता ये एहसास,
क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो।

तुम्हारी यादों में खो जाता हूँ मैं,
हर पल तेरा ही ख्याल आता है।

दिल की धड़कन तेरी ही गूंज है,
सांसों में तेरी ही खुशबू है।

तुम साथ हो तो दुनिया रोशन है,
तुम दूर हो तो सब अंधेरा है।

नहीं चाहिए मुझे कोई और,
बस तेरा ही साथ चाहिए।

क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो।
तुम्हारी हंसी है मेरे लिए संगीत,
तुम्हारी मुस्कान है मेरे लिए जन्नत।

तेरे हाथों का स्पर्श है जादू,
तेरी आँखों में है मेरे सपनों का शहर।

तुम मेरे हो, बस यही है सच,
तुम्हारे बिना जीवन है अधूरा।

क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो,
तुम हो मेरे दिल की धड़कन,
तुम हो मेरी साँसों की खुशबू।

तुम हो मेरे जीवन का सच,
तुम हो मेरे प्यार का गीत।

हमेशा रहना मेरे साथ,
कभी मत जाना मेरे पास से।

क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो।
यह शायरी मेरे दिल की है,
इसमें छिपा है मेरा प्यार।

तुम्हें पढ़कर शायद समझ जाओ,
कितना करता हूँ मैं तुमसे प्यार,
क्यों न चाहूँ तुम्हें, तुम साथ हो या ना हो।

© नि:शब्द