...

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बचपन की यादें
बचपन की शरारतें, याद आज भी ,
लौटाता नहीं बचपना कभी ।
शायद इन्ही ख्यालों में ,
आज भी दिलों में समाए बचपन की बातें सभी।

बचपन की शरारत, याद आज भी,
बचपन की लड़कपन में समाया था अपनापन।
अब कहां वह हंसी किलकारियां,
याद है, बचपन में दोस्तों की गालियां।

बचपन की शरारतें, याद है आज भी,
ना चिंता ,ना फिक्र, जो चाहे करें वही।
वह चोरियां ,छीना- छोरिया वह स्वाद
जो याद है आज भी।

बचपन की झूला, आज तक ना भूला, नहरों- नदियों- पोखरों में नहाते।
दोस्तों संग गुलछर्रे उड़ाते,
आज भी समाए हैं, वह तस्वीर आंखों में।

बचपन की आदत, याद है आज भी ,
स्कूल में पढ़ाई के डर से थे भागते।
एक नया बहाना, ,एक नया तरीका,
याद है आज भी।


बचपन की आदतें, याद है आज भी,
रूठ जब जाते थे, हर मनोकामना पूरी होती थी हमारी ,
याद है आज भी ₹1,
खरीदकर उस रुपए से बांट कर हम खाते थे ।
बचपन की बातें, बचपन की शरारतें,
आज भी

खेतों में वन -उपवन में, गीत जो गाते थे,
घर से भागकर, हरे-भरे पौधे से लिपट कर छिप जाते थे ,
वृक्षों की छांव की नींद, आज भी समाए हैं आंखों में।

बचपन बीत गया, परंतु याद है आज भी, बचपन की वो क्षण, याद है आज भी।
याद है आज भी।