तुम और मैं
सुनो
कल रात तुम फिर सपनों में
आई थी
खनका कर पायल अपनी
नींद मेरी भगाई थी
नर्म हाथों की छुअन तुम्हारी
अब भी मेहसूस होती है
दिल में बसी खुशबु तुम्हारी
ख़ुद बे...
कल रात तुम फिर सपनों में
आई थी
खनका कर पायल अपनी
नींद मेरी भगाई थी
नर्म हाथों की छुअन तुम्हारी
अब भी मेहसूस होती है
दिल में बसी खुशबु तुम्हारी
ख़ुद बे...