...

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अश्कों का हिसाब...


कितने विष पीने हैं,
ए ज़िन्दगी बता ज़रा
कर अब अश्क़ों का हिसाब, कुछ उल्फ़त भी निभा ज़रा

क्या हुई खता मुझसे,
बैठ कुछ देर कुछ बता ज़रा
इन पथराई आंखों को कुछ रंग दिखा ज़रा

सिसकियां जो गुम हैं बरसों से उनको तू दे अब सदा ज़रा
या कर दे पत्थर दिल मेरा कोई तो अब रस्म निभा ज़रा,

गुम है तू एक अरसे से
फिर एक बार तू झलक दिखा ज़रा
दिल के सूखे पड़े उपवन में कोई तो अब पुष्प खिला ज़रा,

मद्धम मद्धम सांसों से तू साज़ नया बना ज़रा
देकर घुटी-घुटी धड़कन तू मुँह मत मोड़ ज़रा

कुछ तो रहम कर ए ज़िन्दगी कष्टों को तू भगा ज़रा
मुसलसल हादसे दर हादसे कब ख़त्म होंगें बता ज़रा
(सम्राट)