फिर क्यों
हर सुबह तुम्हारे शहर से, हवाएं उन यादों के गुलदस्ताओ को साथ लेकर आए,
हर शाम को तुम्हारे अहसासों के खुश्बुओं से, मेरे मन का बाग ये महक जाए।
बेचैन कर देती है मुझे, मेरे मन के बागो में लहराती तुम्हारे यादों की ये सरसराहट,
मेरे दिल को तड़पा कर...
हर शाम को तुम्हारे अहसासों के खुश्बुओं से, मेरे मन का बाग ये महक जाए।
बेचैन कर देती है मुझे, मेरे मन के बागो में लहराती तुम्हारे यादों की ये सरसराहट,
मेरे दिल को तड़पा कर...