कवि की हुंकार-पाकिस्तान पर प्रहार
रावलपिंडी और कराची तक होते है दंगे है।
अजहर और दाऊद आतंकी हमको लगते नंगे है।।
गीदड़ की औलाद हो तुम और सिंहो से तुम लड़ते हो।
जन्नत का है चढ़ा नशा और खून खराबा करते हो।।
मत खेलो ये जेहादी और मत खेलो ये खूनी खेल।
देश की सेना के आगे हो जाएंगे हथकंडे फेल।।
© कवि श्याम प्रताप सिंह
अजहर और दाऊद आतंकी हमको लगते नंगे है।।
गीदड़ की औलाद हो तुम और सिंहो से तुम लड़ते हो।
जन्नत का है चढ़ा नशा और खून खराबा करते हो।।
मत खेलो ये जेहादी और मत खेलो ये खूनी खेल।
देश की सेना के आगे हो जाएंगे हथकंडे फेल।।
© कवि श्याम प्रताप सिंह