...

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किसे पता था….

किसे पता था वो स्कूल का आखीरी दिन
हमारी दोस्ती का भी आख़िरी दिन होगा
किसे पता था की तू इतना बदल जाएगा
उस दिन अलग हुए थे ये कह कर की मिलते रहेंगे
पर किसे पता थे की फिर तू न मिलने का बहाना बनायेगा ।
माना की तूझे नए दोस्त मिल गए होंगे
पर याद ह वो दिन,
जब तू पहली बार फैल होने पर छोटे बच्चे की तरह रोया था
तब तुझे इन नए दोस्तो ने थो नहीं हसाया था,
तेरे साथ वो पांच साल का वक़्त हमने बिताया था।
ना जाने हमने साथ में कितनी यादें बनायीं थी,
न जाने कितनी ही बातें तुनें हमें ओर हमनें तुझे सीखयी थी,
वो अखरी बैंचों में न जाने कितने हसीन पल जीये थे।
कितने ही झगड़े, कितनी लड़ाईयां की थी,
पर अगले सवेरे फिर से गले मील थे।
माना की तेरे वो नए दोस्त तेरे साथ हस्ते हैं,
पर याद हैं हम तेरे साथ रोये भी थे।
तेरे साथ वो पाँच साल हमने बिताए थे।
तुनें तो बड़ी आसानी से कह दिया मेरी जिन्दगी मेरी मर्जी,
पर थोड़ा हक़ तो हम भी तुझ पे समझ बैठे थे।
लोग एकतरफ़ा मोहब्त की बात करते हैं,
हम तो एकतरफा दोस्ती भी निभाने को तैयार थे।
तुझे देख गले से लगाने को जी तो करता हैं,
पर दिल डरता कही तू देख कर भी अनदेखा न कर दे,
और फिर कही मेरे आंसू न बह जाए
सारी हिम्मत फिर जवाब दे जाये
पाँच साल में बिताये हर वो पल फिर सामने न आजाए।
वो पल अब दोबारा न आयेंगे,
अब शायद हम वो पुराने वाले दोस्त न बन पाएंगे,
क्योंकि अब एकतरफा दोस्ती हम भी न निभा पाएंगे।
पर याद रखना तेरे साथ वो पांच साल हमने बिताये थे।
किसे पता था की स्कूल का वो आख़िरी दिन
हमारी दोस्ती का आख़िरी दिन होगा,
किसे पता था की तू इतना बदल जाएगा
किसे पता था........☺️☺️☺️☺️