...

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रिहा कर दिया।
मुराद तुम्हारे मन की थी उसको साझा कर दिया,
आबाद रहो ए सनम, हमारी यादो से रिहा कर दिया,

हर उस ख्वाहिशे- ख्वाब से हमने अब किनारा कर लिया,
मन्नतो को जलाकर उस राख के ढेर पर बसेरा कर लिया,

कहां था युं भी हमारा आशियाना हम तो भटकते राही थै,
अब देखो भटकने के दौर को जीने का तरीका कर लिया,

ना दिखेंगे, ना मिलेंगे, ना मन्नतो में तुम्हे अब मागा करेंगे,
हर सजदे के आखिरी लब्ज में तुमसे दुरी का थागा बुन लिया,

ना समजा पाए हम वफा- ए- ईश्क का पालनपन हमारा कभी,
तुम ही तुम थे हरकहीं दामने ईश्क की गहराई में,
हर वह रिश्ते जो जुडे रहे हमसे उसके उपर तुम थे, कोई विकल्प नही, ईतनी बात ना समझा पाए।


© lata