रिहा कर दिया।
मुराद तुम्हारे मन की थी उसको साझा कर दिया,
आबाद रहो ए सनम, हमारी यादो से रिहा कर दिया,
हर उस ख्वाहिशे- ख्वाब से हमने अब किनारा कर लिया,
मन्नतो को जलाकर उस राख के ढेर पर बसेरा कर लिया,
कहां था युं भी हमारा आशियाना हम तो भटकते राही...
आबाद रहो ए सनम, हमारी यादो से रिहा कर दिया,
हर उस ख्वाहिशे- ख्वाब से हमने अब किनारा कर लिया,
मन्नतो को जलाकर उस राख के ढेर पर बसेरा कर लिया,
कहां था युं भी हमारा आशियाना हम तो भटकते राही...