...

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ग़ज़ल
तीरगी को रोशनी से मारिये तीरगी(अन्धकार)
दुश्मनी को दोस्ती से मारिये

हम तुम्हारे चाहने वालों में थे
हमको थोड़ा आजिज़ी से मारिये आजिज़ी(विनम्रता)

आपको क्या है ज़रूरत तेग़ की तेग़(तलवार)
आप तो बस बे-रुख़ी से मारिये

हर हसीना की यही तरकीब है
हर किसी को दिल्लगी से मारिये

ये जो सारे दुश्मनाने इश्क़ हैं
इन सभी को आशिक़ी से मारिये

बच गए हों रह-ज़नी से जो बशरों रह-ज़नी
उनको तो बस रहबरी से मारिये (राह में लूट)
रहबरी (मार्गदर्शन)
शाबान नाज़िर -

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