" मृत्यु का प्रतिबिंब ""
"" मृत्यु का प्रतिबिंब ""
आज बैठे–बैठे कुछ सोच रहे
इतने में गहरी नींद लग
जैसे जैसे मन शांत हुआ
मेरी रूह मंद मंद गुनगुनाने लग गई
अचानक सामने अजीब सा प्रतिबिंब बना
और आसपास की औरते रोने लग गई!!
फिर सुबह सुबह अचानक.................
हर कोई मेरे घर आये जा रहा था...
आज बैठे–बैठे कुछ सोच रहे
इतने में गहरी नींद लग
जैसे जैसे मन शांत हुआ
मेरी रूह मंद मंद गुनगुनाने लग गई
अचानक सामने अजीब सा प्रतिबिंब बना
और आसपास की औरते रोने लग गई!!
फिर सुबह सुबह अचानक.................
हर कोई मेरे घर आये जा रहा था...