...

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" मृत्यु का प्रतिबिंब ""
"" मृत्यु का प्रतिबिंब ""

आज बैठे–बैठे कुछ सोच रहे
इतने में गहरी नींद लग
जैसे जैसे मन शांत हुआ
मेरी रूह मंद मंद गुनगुनाने लग गई
अचानक सामने अजीब सा प्रतिबिंब बना
और आसपास की औरते रोने लग गई!!
फिर सुबह सुबह अचानक.................
हर कोई मेरे घर आये जा रहा था
जिससे मेरी अनबन सी थी
फिर भी वह मुझे गले लगाए जा रहा था
फिर मेरे घर में मातम और हर कोई चुप,उदास😔
सब रो रहे थे और मुझे सजाया जा रहा था!!
फिर काफी विलंब के बाद पता चला कि....🥺
मैं तो मुर्दा लाश बन गया
जो भ्रम था की सो रहा हूं
उससे तो कोसो दूर आ गया
और अब शायद जवानी के इस दौर में
मेरी अधूरी कहानी का सम्पूर्ण अंत आ गया!!!!!


# विशाल
१६–६–२०२३
७:२३