...

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दहलीज
हर उम्र के पराव के दहलीज पर खड़े
कई क़दम आगे हुए, देखते पीछे
एक नज़र हालात पर ,कई दफा जज़्बात पर
जो बिछड़ गया,उसको देखते
आज भी खड़े, दहलीज पर
हर छूवन हवाओं का, धूप का छांव...