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खोई चाबियाँ: ताले और मकसद की अधूरी कहानी

एक ताला था, जंग खाया हुआ,
बंद दरवाज़ा, चुप बैठा हुआ।
चाबियाँ नहीं, पर ताला वही,
क्या खो गया, क्यों थमा वही?

सदी बीती, धूल ने ओढ़ ली चादर,
पर ताले का दिल नहीं हुआ अधर।
क्या था उसके भीतर जो छुपा,
या बस यूं ही रह गया, बिना मकसद सधा?

बिना चाबियों का ताला क्या कहे,
खुद से लड़े, या समय को सहे।
क्या उपयोग, क्या...