...

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जो बीत गई वो बात कहाँ गई
वो भी एक समय था
मेरे लिये तो कैसा काल
समीचीन सा प्रलय था।
लोग कहते हैं जो बीत गई वो बात गई
पर कैसे जो बीत गई वो बात ही गई और क्यों?
नहीं.. जो बीत गई
वो बात तो
हर किसी के मन के कोने
में कहीं ना कहीं ज़रूर
ही बैठ गयीं
बातें बनकर, यादें बनकर
और उनसे भी बढ़कर
एहसासें बनकर
जो ताउम्र साथ रहेंगी
साथ चलेंगी और जो
इस्तेमाल किया तो
काम भी आयेंगी
कैसे काम आयेंगी?
इसका जवाब है
जैसे वो इस्तेमाल की जायेंगी।
क्योंकि मन बातें भूल जाता
वादे कसमें सबको नकार आता है
पर...