...

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मैं मुसाफिर
मैं मुसाफिर तेरी गलियों का
तू ही मेरी जान है
जब गुज़रता हूँ तेरी गलियों से
एक तू ही मेरी पहचान
तुझे देख छत की मुंडेर पर
दिल मेरा मचल उठता है
जिस दिन तुझसे न मिले नज़र
दिल मेरा सहम उठता है
तू खुश रहे यही दुआ करता हूँ
तेरी आँख में न कभी आँसू आये
तुझे दुख न देकर
प्रभु सारी विपदा मुझे दे जाए
© Bhanu