...

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अमल-ए- जिंदगी
दिन ढल जाती है रात बीत जाती है,
इंतजार की घड़ियाँ लम्बी होती चली जाती है।
मोसल्ले पर बैठे बैठे आँखों से आँसुओ का चस्मा हुआ जारी,
लब मेरे परवरदिगार को पुकार रहे है,
परवरदिगार से फ़रियाद कर अपने दिल को हल्का कर रहे है।
चंद कदमो में मौत लिखी है हमारी,
फिर भी ना जाने लोग क्यु लोगो से फ़रेब कर रहे है।

अमल क्या किया,कितना किया अपनी जिंदगी में,
इस बात की फिकर यहाँ...