मैं कहां पर हूं।
ना ज़मीं पर कदम मेरे, ना आसमां में हूं,
कुदरत के अनजाने अनोखे जहां में हूं।
कोई हमसफ़र बने, शुक्र करूं रब का,
पर पता क्या बताऊं, कि मैं कहां पर हूं।
चेहरा है ख़ामोश मगर, दिल में...
कुदरत के अनजाने अनोखे जहां में हूं।
कोई हमसफ़र बने, शुक्र करूं रब का,
पर पता क्या बताऊं, कि मैं कहां पर हूं।
चेहरा है ख़ामोश मगर, दिल में...