तिनके का संदेश
कच्ची सड़क पर चलते-चलते,
कई तिनकों को हमने कुचला था।
कहकर उनको अस्तित्व हीन,
उनके सम्मान को ललकारा था।
पांव में नहीं थे जूते,
पर हम जा रहे थे आगे बढ़ते,
आया तभी तेज़ आंधी का झोंका,
दिखना हुआ बंद,छा गया धुंधलका।
आंधी ने तिनके को आंख में भोंका,
और कराया अहसास हमें ग़लती का।
तिनका आंख में घुसकर यों बोला,
तुम विशालकाय और मैं दीन-हीन,
बजा रहा मैं आज तुम्हारी आंखों में बीन।।
अब भी समय है मित्र,होश में आओ,
कभी न किसी दीन का मज़ाक उड़ाओ।
© mere ehsaas
#selfrespect#writcopoem#indpirational
कई तिनकों को हमने कुचला था।
कहकर उनको अस्तित्व हीन,
उनके सम्मान को ललकारा था।
पांव में नहीं थे जूते,
पर हम जा रहे थे आगे बढ़ते,
आया तभी तेज़ आंधी का झोंका,
दिखना हुआ बंद,छा गया धुंधलका।
आंधी ने तिनके को आंख में भोंका,
और कराया अहसास हमें ग़लती का।
तिनका आंख में घुसकर यों बोला,
तुम विशालकाय और मैं दीन-हीन,
बजा रहा मैं आज तुम्हारी आंखों में बीन।।
अब भी समय है मित्र,होश में आओ,
कभी न किसी दीन का मज़ाक उड़ाओ।
© mere ehsaas
#selfrespect#writcopoem#indpirational