अभी हमारी उम्र की तो! ~ ग़ज़ल
अभी हमारी उम्र की तो बची हुई इक जवानी है,
दूर रहना हम से वरना तुम को जान गँवानी है।
आंखों में जो सैलाब अल्फ़ाज़ का उमड़ रहा है,
दिख रही है मुझको अब किसी की वीरानी है।
मुँह पर जो फ़रेब का परदा लिए घूम रहें है,
मिरे...
दूर रहना हम से वरना तुम को जान गँवानी है।
आंखों में जो सैलाब अल्फ़ाज़ का उमड़ रहा है,
दिख रही है मुझको अब किसी की वीरानी है।
मुँह पर जो फ़रेब का परदा लिए घूम रहें है,
मिरे...