अभी हमारी उम्र की तो! ~ ग़ज़ल
अभी हमारी उम्र की तो बची हुई इक जवानी है,
दूर रहना हम से वरना तुम को जान गँवानी है।
आंखों में जो सैलाब अल्फ़ाज़ का उमड़ रहा है,
दिख रही है मुझको अब किसी की वीरानी है।
मुँह पर जो फ़रेब का परदा लिए घूम रहें है,
मिरे महेमान उनकी जीने की यहीं कहानी है।
जो लोग सच का दावा बताने में जुटे हुए है,
ऐसे ही झूठे लोगों की ज़िंदगी में नुकसानी है।
कुँए की चपेट में जो आया, बाहर आ न सका,
यही उस के ज़िंदगी की एक पशेमानी है।
ख़ुदा को जो लोग चुनौती देने में लग गए है,
संभल जाओ वरना तुमको याद आनी नानी है।
~शिवम राज व्यस "रूह"
#WritcoPoemChallenge #Gazal #रुह #hindishyari
दूर रहना हम से वरना तुम को जान गँवानी है।
आंखों में जो सैलाब अल्फ़ाज़ का उमड़ रहा है,
दिख रही है मुझको अब किसी की वीरानी है।
मुँह पर जो फ़रेब का परदा लिए घूम रहें है,
मिरे महेमान उनकी जीने की यहीं कहानी है।
जो लोग सच का दावा बताने में जुटे हुए है,
ऐसे ही झूठे लोगों की ज़िंदगी में नुकसानी है।
कुँए की चपेट में जो आया, बाहर आ न सका,
यही उस के ज़िंदगी की एक पशेमानी है।
ख़ुदा को जो लोग चुनौती देने में लग गए है,
संभल जाओ वरना तुमको याद आनी नानी है।
~शिवम राज व्यस "रूह"
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