फिर वही...
फिर वही काम हो रहा है
फिर वही नाम हो रहा है
जिसे भुला नहीं दिल अबतक
फिर वहीं बदनाम हो रहा है
फिर ये मसला उठ रहा है
फिर ये मुद्दा बन रहा है
सुलझा न सका जिसे आजतक
फिर दिल इल्ज़ाम ढो रहा है
फिर इलहाम हो रहा है
फिर गुलफाम हो रहा है
इश्क़ का सरताज था कलतक
फिर दिल नाकाम हो रहा है
फिर मक़ाम छूट रहा है
फिर कहीं से टूट रहा है
मोहब्बत के शहर में दिल
फिर बेइज्जत सरेआम हो रहा है
© ढलती_साँझ
फिर वही नाम हो रहा है
जिसे भुला नहीं दिल अबतक
फिर वहीं बदनाम हो रहा है
फिर ये मसला उठ रहा है
फिर ये मुद्दा बन रहा है
सुलझा न सका जिसे आजतक
फिर दिल इल्ज़ाम ढो रहा है
फिर इलहाम हो रहा है
फिर गुलफाम हो रहा है
इश्क़ का सरताज था कलतक
फिर दिल नाकाम हो रहा है
फिर मक़ाम छूट रहा है
फिर कहीं से टूट रहा है
मोहब्बत के शहर में दिल
फिर बेइज्जत सरेआम हो रहा है
© ढलती_साँझ