...

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रातों का कारवां
ना जाने ये कैसा एहसास है,,
मुसलसल ये रातों का एक जहान है।
नहीं कटती ये राते तुम्हारी बगैर,,
इनमे छुपी तुम्हारी यादें बेसुमार है।
शिकवा करे या शिकायत इस नादान दिल से,,
जो धड़कता है तुम्हारे एहसास से।
ख्वाब है या हक़ीक़त ये तो रब ही जाने,,
तुम्हारा किस कदर इंतजार है इस दिल को
ये तो तुम्हारा दिल ही जाने।।

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✍️
یاسمین انصاری