वो कॉलेज के दिन भी क्या दिन थे
नादानी नादानी में कर लेते है हम बहुत सारी शरारतें
फिर सर हमारे निकाल देगे कॉलेज से इस बात से हमे डराते
जब पड़ा रहे हो सर आगे
हम चुपके से पता नही कहा कहा चल दौड़ भागे
जब सर कहते अब में जो पड़ा रहा हुं ध्यान से पड़ना
तब मन में आते थे कुछ ऐसे उच्च विचार
चलो खाते है दोस्त की टिफिन का अचार
जब खींचते थे बाजू वाली दोस्त के बाल...
फिर सर हमारे निकाल देगे कॉलेज से इस बात से हमे डराते
जब पड़ा रहे हो सर आगे
हम चुपके से पता नही कहा कहा चल दौड़ भागे
जब सर कहते अब में जो पड़ा रहा हुं ध्यान से पड़ना
तब मन में आते थे कुछ ऐसे उच्च विचार
चलो खाते है दोस्त की टिफिन का अचार
जब खींचते थे बाजू वाली दोस्त के बाल...