...

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जीना आ गया।
हमें भी प्यार करना आ गया है।
कि जीने का सलीक़ा आ गया है।

तुम आने वाले थे ना जनवरी में
दिसंबर का महीना आ गया है।

वो आमादा हुए क्यों ख़ुदकुशी पर
जो कहते थे कि जीना आ गया है।

ख़ुशी अब जीत की दूँगी मैं उसको
मुझे अब हार जाना आ गया है।

कहो क्यों ज़ख़्म पर मरहम लगाऊँ
जब इसका लुत्फ़ लेना आ गया है

तुझे ग़म दे के ख़ुश होती है दुनिया
‘तबस्सुम’ क्या ज़माना आ गया है.।
© Shabdo ke khel