...

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मै भी लिखती हूं
शब्दो का ज्ञान कम है
पर ये जो आंखे नम है
इन्होंने सिखाया लिखना
मुझे , दोहे ,छंद , चौपाई
तुकांत से सब कहा मुझे
आते हैं , समेट लेती हूं अपने
जज़्बात वही शब्द बन जाते
है।
कभी कही जो गई घूमने तो
वहा के नजारे आंखो में बस
जाते है , फिर आंखो के ज़रिए
इन कागजों में भर जाते...