...

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!...हिज़्र...!
ये हिज़्र हो या वस्ल हो, जो तुम नहीं तो क्या है ये
ये दिन ये रात ये ग़म ये हम जो तुम नहीं तो क्या है ये

अभी इश्क़ में बेगाना हूँ, नहीं होश कुछ नहीं कुछ खबर
ये जो हाल है यही रोग है, यही तुम न समझो तो क्या है ये

बड़ी देर तक न देख तू, मैं खुदा नहीं मैं...