समाज
वाह! रे इंसान तेरी इंसानियत आजकल क्यों समझ नहीं आती हैं,
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं..
उसके मरने के बाद उसके परिवार को सिर्फ़ सान्त्वना ही क्यों दी जाती हैं,
ओर अगर वो जो गलती से कही बच गई तो भर-भर के जिल्लत ही क्यों दी जाती हैं,
उसके ऊपर आजकल मेरे समाज का दोगला पन भी क्या लाजवाब हैं,
लड़का गलती करके भी आजादी से घुमे उसको क्यों ये अधिकार हैं,
बिना गलती मुँह छुपा लड़की घर में रहे ये कोेेनसा इंसाफ़ हैं,
वाह! रे इंसान तेरी इंसानियत आजकल क्यों समझ नहीं आती हैं,
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं..
फ़िर देखो कुछ हमारे समाज के ठेकेदार याद क्या दिलाते हैं,
बड़ चढ़ कर संस्कृति देश की ये सिर्फ़ लड़कियों को ही क्यों समझाते हैं,
जब बात आये इनके सामने लड़को की चुपके से क्यों निकल जाते हैं,
कभी मरहम नहीं होता इनके पास पर नमक अच्छे से क्यों लगाते हैं,
क्यों गई थी रात को बहार ये मर्यादा सिर्फ़ लड़कियों को ही क्यों याद दिलाते हैं,
कभी ना सुधरा मेरा समाज आज भी भेदभाव ये क्यों करता हैं,
लड़का-लड़की में ये भेद समाज अच्छे से क्यों करता हैं,
वाह! रे इंसान तेरी इंसानियत आजकल क्यों समझ नहीं आती हैं,
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं...
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं..
उसके मरने के बाद उसके परिवार को सिर्फ़ सान्त्वना ही क्यों दी जाती हैं,
ओर अगर वो जो गलती से कही बच गई तो भर-भर के जिल्लत ही क्यों दी जाती हैं,
उसके ऊपर आजकल मेरे समाज का दोगला पन भी क्या लाजवाब हैं,
लड़का गलती करके भी आजादी से घुमे उसको क्यों ये अधिकार हैं,
बिना गलती मुँह छुपा लड़की घर में रहे ये कोेेनसा इंसाफ़ हैं,
वाह! रे इंसान तेरी इंसानियत आजकल क्यों समझ नहीं आती हैं,
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं..
फ़िर देखो कुछ हमारे समाज के ठेकेदार याद क्या दिलाते हैं,
बड़ चढ़ कर संस्कृति देश की ये सिर्फ़ लड़कियों को ही क्यों समझाते हैं,
जब बात आये इनके सामने लड़को की चुपके से क्यों निकल जाते हैं,
कभी मरहम नहीं होता इनके पास पर नमक अच्छे से क्यों लगाते हैं,
क्यों गई थी रात को बहार ये मर्यादा सिर्फ़ लड़कियों को ही क्यों याद दिलाते हैं,
कभी ना सुधरा मेरा समाज आज भी भेदभाव ये क्यों करता हैं,
लड़का-लड़की में ये भेद समाज अच्छे से क्यों करता हैं,
वाह! रे इंसान तेरी इंसानियत आजकल क्यों समझ नहीं आती हैं,
बलात्कार होने के बाद बात लड़की के चरित्र पर क्यों आ जाती हैं...