ग़ज़ल...
आज तन्हाई सही, कल पीछे हमारे भी काफ़िले होंगे
कल हमारी भी जिंदगी में, चाहतों के सिल-सिले होंगे
हम भी बनेंगे, किसी के दिल की सल्तनत के मालिक
उसके दिल के शहर में, अपने भी महलओ-किले होंगे
वो एक...
कल हमारी भी जिंदगी में, चाहतों के सिल-सिले होंगे
हम भी बनेंगे, किसी के दिल की सल्तनत के मालिक
उसके दिल के शहर में, अपने भी महलओ-किले होंगे
वो एक...