दो परछाइयां
दो परछाईयां का वजूद एक नज़र आने लगा
जब वो मुझमें आकर ख़ामोशी से समाने लगा
होश में था फिर मेरा होश भी जाने लगा
वो गले लगा और धीरे से बुदबुदाने लगा
शोर धड़कनों का मुझे आज़माने लगा
कस के मुझे वो जब ख़ुद में छुपाने लगा
अपनी महक से मुझे बहुत कुछ याद दिलाने लगा
खुशबुओं के हसीन सफ़र पर एक फिर ले जाने लगा
डूब कर उसमें मुझे आज फिर लुत्फ आने लगा
मिस्ल ए गुलाब वो मुझको भी गुलाब बनाने लगा
© sydakhtrr
जब वो मुझमें आकर ख़ामोशी से समाने लगा
होश में था फिर मेरा होश भी जाने लगा
वो गले लगा और धीरे से बुदबुदाने लगा
शोर धड़कनों का मुझे आज़माने लगा
कस के मुझे वो जब ख़ुद में छुपाने लगा
अपनी महक से मुझे बहुत कुछ याद दिलाने लगा
खुशबुओं के हसीन सफ़र पर एक फिर ले जाने लगा
डूब कर उसमें मुझे आज फिर लुत्फ आने लगा
मिस्ल ए गुलाब वो मुझको भी गुलाब बनाने लगा
© sydakhtrr