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चल मंजिल की ओर।
यूं दूसरों की सुन , यूं मायूस क्यों बैठा है तू
उनका काम था कहना है सो कह दिया उन्होंने
पर तू खुद पर यकीन खो मत।
जरा सोच अपनों की ,जो उम्मीद लगाए बैठे तुझसे
और तू यूं हार मान बैठा है।
एक तू ही है, जो खुद को जानता है
तो खोज अपनी मंजिल को,
तैयार कर उस राह की खातिर खुद को,
मंजिल भले मुश्किलों भरी ही क्यों ना हो,
मंजिल पा जो खुशी मिलेगी,
उससे बढ़ कर और कुछ नहीं है
तू उठ, बढ़ और चल मंजिल की ओर।
© Anjali Singh
उनका काम था कहना है सो कह दिया उन्होंने
पर तू खुद पर यकीन खो मत।
जरा सोच अपनों की ,जो उम्मीद लगाए बैठे तुझसे
और तू यूं हार मान बैठा है।
एक तू ही है, जो खुद को जानता है
तो खोज अपनी मंजिल को,
तैयार कर उस राह की खातिर खुद को,
मंजिल भले मुश्किलों भरी ही क्यों ना हो,
मंजिल पा जो खुशी मिलेगी,
उससे बढ़ कर और कुछ नहीं है
तू उठ, बढ़ और चल मंजिल की ओर।
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