...

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दिल ने सीखा दिया
दिल ने सीखा दिया
भरने को, आंसू छुपाने को
लेकिन!!
क्या समझे ये तन्हाई को
एक तरफा प्यार जो था
कहने को...
रिश्ते तो थे ये कांच के....
टुकड़े हुए दिल के आगया समझ सभी को
समझ ना आया उसी को...
मालूम था प्यार भी था उसे...
तड़प व भी रहा मेरे इजहार को
लौट वो आया दौड़ के
मालूम नहीं था कांच गिरे हुए थे मेज़ पे...
चुभा जब पांवों पर बोल पड़ा तब टूटकर...
मजबुर थे हम इजहार ना करने को
दबे हुए थे दुनिया के पांवों पर...
दिल ने सीखा दिया उठकर जीने को..

#love#Anushree poem