मनमुटाव की वज़ह।
मनमुटाव की वज़ह तुमसे शुरू हुई
तुमने कभी समझा ही नहीं।
समझने की कोशिश करना था फिर भी
उलझन बन गई तुम हमारी।
कभी-कभार तुम्हारी जिद्द आड़े आती
कभी तुम हार मानना नही चाहती।
कितना समझाया...
तुमने कभी समझा ही नहीं।
समझने की कोशिश करना था फिर भी
उलझन बन गई तुम हमारी।
कभी-कभार तुम्हारी जिद्द आड़े आती
कभी तुम हार मानना नही चाहती।
कितना समझाया...