...

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Meluha Trinath
प्रकृति का विस्तार तुमसे ,,
गंगा का सूत्रधार तुमसे
अमृत का मार्ग तुमसे ,,
आग तुमसे , श्रृंगार तुमसे

क्या करूं ,क्या भरूं ...